लेखनी प्रतियोगिता -06-Jul-2022
मंज़िल की चाहत में
मंज़िल पाने की चाहत में,
कहां भटक गए हो तुम।
मंज़िल पाने की चाहत में,
कहां अटक गए हो तुम।
बस आगे बढ़ता जा
तुझे तेरी मंज़िल अवश्य ही मिल जाएगी।
पीछे रह गया तो तुझे तेरी मंज़िल
कभी नहीं मिल पाएगी।
कभी न टूटने देना मन में
उम्मीद मंज़िल पाने की तुम।
अपनी चाहत को मजबूत बना
तभी तो मंज़िल पाओगे तुम।
रास्ते में कई रूकावटे,
कई मुश्किले आएगी तुम्हारे।
पर कभी न घबराना तुम,
मंज़िल को पाना है तुमने ,
बस उसी की और ध्यान लगाओ तुम।
दीक्षा ठाकुर ✍✍✍✍
Shrishti pandey
07-Jul-2022 09:22 AM
Nice
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Abhinav ji
07-Jul-2022 08:21 AM
Nice
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Punam verma
07-Jul-2022 07:13 AM
Nice
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